ब्योंत

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ब्योंत संज्ञा स्त्री॰, पुं॰ [सं॰ व्यवस्था् या व्यवर्तन अथवला देश॰]

१. व्यवस्था । हाल । मामला । माजरा । ब्योरा । विवरण । उ॰— छबै छिगुनी पहुँची गिलत अति दीनता दिखाय । बलि बामन को ब्योंत सुनि को बलि तुमहि पत्य़ाय़ । —बिहारी (शब्द॰) ।

२. कोई काम करने का ढंग । ढब । विधि । बिधान । तरौका । साधनप्रणाली ।

३. युक्ति । उपाय । उ॰— ए दई ऐसो कछु करु ध्य़ोंत जु देखे अदेखिन के द्दग दरगै । —पद्माकर (शब्द॰) ।

४. आयोजन । भूमिका । उपक्रम । किसी काम को करने की तैयारी । जैसे,— वह ऊपर चड़ने की ब्योंत कर रहा है । मुहा॰— ब्योंत बाँधना = आयोजन करना । ब्योंत बताना = उपाय बताना । युक्ति य़ा तरीका बताना । उ॰— मारिए कागही मोहि पै लै सिर मेरे ही केतिकौ ब्य़ोंत बतावत ।— बैनी (शब्द॰) ।

५. संयोग । अवसर । नौबत । उ॰— साहि रह्मो जकि सिवराज रह्मो तकि, और चाहि रह्नो चकि बने ब्योंत अनबन के ।— भूषण (शब्द॰) ।

६. प्रबंध । इंतजाम । व्यवस्था । डो़ल ।