ब्रह्मवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. वेद का पढ़ना पढ़ाना । वेदापाठ । २. वह सिद्धांत जिसमें शुद्ध चैतन्य मात्र की सत्ता स्वीकार की जाय, अनात्म की सत्ता न मानी जाय । अद्वैतवाद ।