भँजना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
भँजना क्रि॰ अ॰ [सं॰ भञ्जन]
१. किसी पदार्थ के संयोजक अंगों का अलग होना । टुकडे टुकडे़ होना । टूटना ।
२. किसी बडे़ सिक्के का छोटे छोटे सिक्कों के रूप में बदला जाना । भुनना । जैसे, रुपया भँजना ।
भँजना क्रि॰ अ॰ [हिं॰ भाँजना]
१. बटा जाना । जैसे, रस्सी बा तागे का भँजना ।
२. कागज के तख्तों का कई परतों में मोड़ा जाना । भाँजा जाना ।