भँवरकली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भँवरकली संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भँवर + कली] लोहे वा पीतल की वह कडी जो कील में इस प्रकार जडी़ रहती है कि वह जिधर चाहे, उधर सहज में घुमाई जा सकती है । विशेष—यह प्रायः पशुओं के गले की सिकडी़ या पट्टी आदि में लगी रहती है । पशु चाहे जितने चक्कर लगावें, पर इसकी सहायता से उसकी सिकडी़ में बल नहीं पड़ने पाता । घूमने वाली कुंडी या कडी़ ।