भगलो संज्ञा पुं॰ [हिं॰ भगल + ई(प्रत्य॰)] १. ढोंगी । छली । उ॰—कोउ कहै भिच्छुक कोउ कहै भगली, अपकीरति गोहरावै ।—जग॰ श॰, पृ॰ १०९ । २. बाजीगर । उ॰— जाग्रत जाग्रत साँच है सोवत सपना साँच । देह गए दोऊ गए ज्यो भगली को नाच ।—कबीर (शब्द॰) ।