भगवदगीता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भगवदगीता संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] महाभारत के भीष्मपर्व के अंतर्गत अठारह अध्यायों का एक प्रकरण । विशेष—इसमें उन उपदेशौं और प्रश्नोत्तरों का वर्णन है जो भगवान् कृष्णचंद्र ने अर्जुन का मोह छुड़ाने के लिये उससे युद्धस्थल में किए थे । इसमें अठारह अध्याय हैं । यह ग्रंथ प्रस्थान- चतुष्टय में चौथा है और बहुत दिनों से महाभारत से पृथक् माना जाता है । इसपर शंकराचार्य, रामानुज, वल्लभादि आचार्यों के भाष्य हैं । हिंदू धर्म में यह ग्रंथ सर्वश्रेष्ठ और सब संप्रदायों का मान्य ग्रंथ है ।