भटकना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
भटकना ^१ क्रि॰ अ॰ [देश॰]
१. व्यथ इधर उधर घूमते फिरना । उ॰—अरे बैठि रहु जाय घर कत भटकत बेकाज । चितवन टोना को अऱे होना नहीं हलाज ।—रसनिधि (शब्द॰) ।
२. रास्ता भूल जाने के कारण इधर उधर घूमना ।
३. किसी को खोजने में इधर उधर घूमना ।
४. चूक जाना ।
५. भ्रम में पड़ना । उ॰—साँवरी मरति सों अटकी भटकी सी बधू बट की भरै भाँवरी ।—दत्त (शब्द॰) ।