भद्र
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भद्र ^१ वि॰ [सं॰]
१. सभ्य । सुशिक्षित ।
२. कल्याणकारी ।
३. श्रेष्ठ ।
४. साधु ।
५. सुंदर (को॰) ।
६. प्रिय (को॰) ।
७. अनुकूल (को॰) ।
भद्र ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कल्याण । क्षेम । कुशल ।
२. चंदन ।
३. हाथियों की एक जाति जो पहले विंध्याचल में होती थी । उ॰—च्यारि प्रकार पिष्षि बन बारन । भद्र मंद मृग जाति सधारन ।—पृ॰ रा॰, २७ । ४ ।
४. बलदेव जी का एक सहोदर भाई ।
५. महादेव ।
६. एक प्राचीन देश का नाम ।
७. उत्तर देश के दिग्गज का नाग ।
८. खंजन पक्षी ।
९. बैल ।
१०. विष्णु के एक पारिषद् का नाम ।
११. राम जी के एक सखा का नाम ।
१२. स्वरसाधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है—सा रे सा, रे ग रे, ग म ग, म प म, प ध प, ध नि ध, नि सा नि, सा रे सा । सा नि सा, नि ध नि, ध प ध, प म प, म ग म, ग रे ग, रे सा रे, सा नि सा ।
१३. ब्रज के ८४ वनों में से एक वन ।
२४. सुमेरु पर्वत ।
१५. कदंब ।
१६. सोना । स्वर्ण ।
१७. मोथा ।
१८. रामचंद्र की सभा का वह सभासद जिसके मुँह से सीता की निंदा सुनकर उन्होंने सीता को वनवास दिया था ।
१९. विष्णु का वह द्वार- पाल जो उनके दरवाजे पर दाहिनी ओर रहता है ।
२०. देवदारु वृक्ष (को॰) ।
२१. दाँभिक । दंभी । कपटी । छली । धूर्त (को॰) ।
२२. लोह । लोहा (को॰) ।
२३. ज्योतिष में सातवाँ करण ।
२४. पुराणानुसार स्वायभुव मन्वतर में विष्णु से उत्पन्न एक प्रकार के देवता जो तुषित भी कहलाते हैं ।
भद्र ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ भद्राकरण] सिर, दाढ़ी, मूछों आदि सबके बालों का मुंडन । उ॰—लीन्हों हृदय लगाय सूर प्रभु पूछत भद्र भए क्यौं भाई ।—सूर (शब्द॰) ।