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भद्र

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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भद्र ^१ वि॰ [सं॰]

१. सभ्य । सुशिक्षित ।

२. कल्याणकारी ।

३. श्रेष्ठ ।

४. साधु ।

५. सुंदर (को॰) ।

६. प्रिय (को॰) ।

७. अनुकूल (को॰) ।

भद्र ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कल्याण । क्षेम । कुशल ।

२. चंदन ।

३. हाथियों की एक जाति जो पहले विंध्याचल में होती थी । उ॰—च्यारि प्रकार पिष्षि बन बारन । भद्र मंद मृग जाति सधारन ।—पृ॰ रा॰, २७ । ४ ।

४. बलदेव जी का एक सहोदर भाई ।

५. महादेव ।

६. एक प्राचीन देश का नाम ।

७. उत्तर देश के दिग्गज का नाग ।

८. खंजन पक्षी ।

९. बैल ।

१०. विष्णु के एक पारिषद् का नाम ।

११. राम जी के एक सखा का नाम ।

१२. स्वरसाधन की एक प्रणाली जो इस प्रकार है—सा रे सा, रे ग रे, ग म ग, म प म, प ध प, ध नि ध, नि सा नि, सा रे सा । सा नि सा, नि ध नि, ध प ध, प म प, म ग म, ग रे ग, रे सा रे, सा नि सा ।

१३. ब्रज के ८४ वनों में से एक वन ।

२४. सुमेरु पर्वत ।

१५. कदंब ।

१६. सोना । स्वर्ण ।

१७. मोथा ।

१८. रामचंद्र की सभा का वह सभासद जिसके मुँह से सीता की निंदा सुनकर उन्होंने सीता को वनवास दिया था ।

१९. विष्णु का वह द्वार- पाल जो उनके दरवाजे पर दाहिनी ओर रहता है ।

२०. देवदारु वृक्ष (को॰) ।

२१. दाँभिक । दंभी । कपटी । छली । धूर्त (को॰) ।

२२. लोह । लोहा (को॰) ।

२३. ज्योतिष में सातवाँ करण ।

२४. पुराणानुसार स्वायभुव मन्वतर में विष्णु से उत्पन्न एक प्रकार के देवता जो तुषित भी कहलाते हैं ।

भद्र ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ भद्राकरण] सिर, दाढ़ी, मूछों आदि सबके बालों का मुंडन । उ॰—लीन्हों हृदय लगाय सूर प्रभु पूछत भद्र भए क्यौं भाई ।—सूर (शब्द॰) ।