सामग्री पर जाएँ

भरत

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

भरत ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कैकेयी के गर्भ से उत्पन्न राजा दशरथ के पुत्र और रामचंद्र के छोटे भाई जिनका विवाह मांडवी के साथ हुआ था । विशेष—ये प्रायः अपने मामा के यहाँ रहते थे और दशरथ के देहांत के उपरांत अयोध्या आए थे । दशरथ का श्राद्ध आदि इन्हीं ने किया था । कैकेयी ने इन्हीं को अयोध्या का राज्य दिलवाने के लिये रामचंद्र को बनवास दिलाया था; पर इसके लिये इन्होंने अपनी माता की बहुत कुछ निंदा की थी । रामचंद्र की ये सदा अपने बड़े भाई के तुल्य मानते थे और उनके प्रति बहुत श्रद्धा रखते थे । पिता के देहांत के उपरांत रामचंद्र को अयोध्या वापस लाने के लिये भी यही चित्रकूट गए थे । जब रामचंद्र किसी प्रकार आने के लिये तैयार नहीं हुए, तब ये अपने साथ उनकी पादुका लेते आए और उसी पादुका को सिंहासन पर रखकर रामचंद्र के आने के समय तक अयोध्या का शासन करते रहे । जब रामचंद्र लौट आए तब इन्होंने राज्य उन्हें सौंप दिया । इनको तक्ष और पुष्कर नामक दो पुत्र थे । उन्हीं पुत्रों को साथ लेकर इन्होने गंधर्व देश के राजा शैलुश के साथ युद्ध किया था और उसे परास्त करके उसका राज्य अपने दोनों पुत्रों में बाँट दिया था । पीछे ये रामचंद्र के साथ स्वर्ग चले गए थे ।

२. भागवत के अनुसार ऋषभदेव के पुत्र का नाम । वि॰ दे॰ 'जड़भरत' ।

३. शकुंतला के गर्भ से उत्पन्न दुष्यंत के पुत्र का नाम जिसका जन्म कण्व ऋषि के आश्रम में हुआ था । विशेष—जन्म के समय ऋषि ने इनका नाम सर्वदमन रख था और इनको शकुंतला के साथ दुष्यंत के पास भेज दिया था । दे॰ 'दुष्यंत' । बड़े होने पर ये बड़े प्रतापी और सार्वभौम राजा हुए । विदर्भराज की तीन कन्याओं से इनका विवाह हुआ था । इन्होंने अनेक अश्वमेध और राजसूय यज्ञ किए थे । इस देश का 'भारतवर्ष' नाम इन्हीं के नाम पर पड़ा है । यौ॰—भरतखंड । भरतभूमि ।

४. एक प्रसिद्ध मुनि जो नाट्यशास्त्र के प्रधान आचार्य माने जाते है । विशेष— संभवतः ये पाणिनि के बाद हुए थे; क्योंकि पाणिनि के सूत्रों में नाट्यशास्त्र के शिलालिन् और कृशाश्व दो आचार्यों का तो उल्लेख है, पर इनका नाम नहीं आया है । इनका लिखा हुआ नाट्यशास्त्र नामक ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध और प्रामाणिक माना जाता है । कहा जाता है, इन्होंने नाट्य- कला ब्रह्मा से और नृत्यकला शिव से सीखी थी । यौ॰—भरतपुत्र । भरतपुत्रक । भरतवाक्य । भरतवीणा । भरत- शास्त्र= नाट्यशास्त्र ।

५. संगीत शास्त्र के एक आचार्य का नाम ।

६. वह जो नाटकों में अभिनय करता हो । नट ।

७. शबर ।

८. तंतुवाय । जुलाहा ।

९. क्षेत्र । खेत ।

१०. वह जो शस्त्रादि आयुधों से जीविकार्जन करता हो । सैनिक । आयुधजीवी (को॰) ।

११. आग्नि (को॰) ।

१२. प्राचीन काल का उत्तर भारत का एक देश जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है ।

१३. जैनों के अनुसार प्रथम तीर्थकर ऋषभ के ज्येष्ठ पुत का नाम ।

भरत ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ भरद्वाज] लवा पक्षी का एक भेद जो प्रायः सारे भारत में पाया जाता है । विशेष— यह पक्षी लंबा होता है और झुंड में रहता है । जाड़े के दिनों में खेतों और खुले मैदानों में इसके झुंमड बहुत पाए जाते हैं । इसका शब्द बहुत मधुर होता है और यह बहुत ऊँचाई तर उड़ सकता है । यह प्रायः अंडे देने के समय जमीन पर घास से घोसला बनाता है और एक बार में ४-५ अंडे देता है । यह अनाज के दाने या कीड़े मकोड़े खाकर अपना निर्वाह करता है ।

भरत ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰]

१. काँसा नामक धातु । कसकुट । वि॰ दे॰ 'काँसा' । †

२. काँसे के बरतन बनानेवाला । ठठेग ।

भरत ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भरना] मालगुजारी । (दिल्ली) ।