भरती
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भरती ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भरना]
१. किसी चीज में भरे जाने का भाव । भरा जाना । मुहा॰—भरती करना =किसी के बीच में रखना, लगाना या बैठाना । जैसे,— (क) इसमें (५) की और भरती करो । (ख) टाँका भरती करना । भरती का= जो केवल स्थान पूरा करने के लिये रखा जाय । बहुत ही साधारण या रद्दी ।
२. नक्काशी, चित्रकारी या कशीदे आदि में बीत का खाली स्थान इस प्रकार भरना जिसमें उसका सौंदर्य बढ़ जाय । जैसे, कशीदे के बूटों में की भरती, नैचे में की भरती ।
३. दाखिल या प्रविष्ट होने का भाव । प्रवेश होना । जैसे, लड़कों का स्कूल में भरती होना, फौज में भरती होना ।
४. वह नाव जिसमें माल लादा जाता हो । (लश॰) ।
५. वह माल जो ऐसी नाव में भरा या लादा जाय । (लश॰) ।
६. जहाज पर माल लादने की क्रिया । (लश॰) ।
७. समुद्र में पानी का चढ़ाव । ज्वार । (लश॰) ।
८. नदी के पानी की बाढ़ । (लश॰) ।
भरती ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰]
१. साँवाँ नामक कदन्न ।
२. एक प्रकार की घास जो पशुओं के चारे के काम में आती है ।