भस्म

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भस्म ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ भस्मन्]

१. लकड़ी आदि के जलने पर बची हुई राख ।

२. चिता की राख जिसे पुराणानुसार शिव जी अपने सारे शरीर में लगाते थे ।

३. विशेष प्रकार से तैयार की हुई अथवा अग्निहोत्र में की राख जो पवित्र मानी जाती है और जिसे शिव के भक्त मस्तक तथा शरीर में लगते अथवा साधु लोग सारे शरीर में लगते हैं । क्रि॰ प्र॰— रमाना । — लगाना ।

४. एक प्रकार का पथरी रोग ।

५. (आयुर्वेद) फूँकी हुई धातु जो ओषधि रूप में प्रयुक्त की जाती है । कुश्ता ।

भस्म ^२ वि॰ जो जलकर राख हो गया हो । जला हुआ ।