भाग
हिँदी
- हिस्सा टुकडा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
भाग संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. हिस्सा । खड । अंश । जैसे,— इसके चार भाग कर डालो । उ॰— बैनतेय बलि जिमि चह कागू । जिमि सस चहहि नाग अरि भागू ।— तुलसी (शब्द॰) ।
२. पार्श्व । तरफ । ओर । उ॰— बाम भाग सोभित अनुकूला । आदि शक्ति छबि निधि जगमूला ।— तुलसी (शब्द॰) ।
३. नसीब । भाग्य । किस्मत । प्रारब्ध । उ॰— और सुनो यह रूप जवाहर भाग बड़े बिरलै कोउ पावै ।— ठाकुर (शब्द॰) । मुहा॰— भाग खुलना = भाग्योदय होना । तकदीर खुलना । उ॰— क्या मिला पूत जो सपूत नहीं । क्या खुली कोख जो न भाग खुला ।— चोखे॰, पृ॰ ३९ । भाग फूटना =बुरे दिन आना । उ॰— करतबों से फटे रहे जब हम । भाग कैसे न फूट तब जाता ।— चुभते॰, पृ॰ ६१ ।
४. सौभाग्य । खुशनसीवी । उ॰— दिशि विदिशनि छबि लाग भाग पूरित पराग भर ।— केशव (शब्द॰) ।
५. भाग्य का कल्पित स्थान । माथा । ललाट । उ॰— सेज है सुहाग की कि भाग की सभा है शुभ भामिनी कौ भाल अहै भाग चारु चंद को ।— केशव (शब्द॰) ।
६. प्रातःकाल । भोर । अरुणोदय काल । उ॰— राग रजोगुण को प्रगट प्रतिपक्षी को भाग । रंगभूमि जावक बरणि को पराग अनुराग ।— केशव (शब्द॰) ।
७. एक प्राचीन देश का नाम ।
८. ऐश्वर्य । वैभव ।
९. पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र ।
१०. विभाजन । बटवारा । (को॰) ।
११. चतुर्थांश (को॰) ।
१२. परिधि का ३६० वाँ भाग या एक अंश (को॰) ।
१३. राशि का ३० वाँ अंश या हिस्सा (को॰) ।
१४. रूप्यकार्ध । रुपए का आधा (को॰) ।
१५. एक अंक । ११ का अंक या संख्या (को॰) ।
१६. गणित में एक प्रकार की क्रिया जिसमें किसी संख्या को कुछ निश्चित स्थानों या भागों में बाँटना पड़ता है । किसी राशि को अनेक अंशों या भागों में बाँटने की क्रिया । गुणन के विपरीत क्रिया । विशेष— जिस राशि के भाग किए जाते हैं, उसे 'भाज्य' और जिससे भाग देते हैं; उसे 'भाजक' कहते हैं । भाज्य को भाजक से भाग देने पर जो संख्या निकलती है, उसे फल कहते हैं । जैसे,— । भाज्य भाजक १५) १३५ (९ फल १३५ *