भाजी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भाजी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. भाँग । पीच ।
२. तरकारी, साग आदि । उ॰—(क) तुम तो तीन लोक के ठाकुर तुमते कहा दुराइय । हम तो प्रेम प्रीति के गाहक भाजी शाक चखाइय ।— सूर (शब्द॰) । (ख) मीठे तेल चना की भाजी । एक भकूनी दै मोहिं साजी ।— सूर (शब्द॰) ।
३. मेथी ।
भाजी ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ भाजिन्] सेवक । भृत्य । नौकर ।
भाजी ^३ वि॰ [सं॰ भाजिन्] भाग लेनेवाला । शरीक होनेवाला । संबंद्ध ।