भीजना † क्रि॰ अ॰ [हिं॰] दे॰ 'भीगना' । २. भारी होना । बढ़ना । उ॰—बूड़ि बूड़ि तरैं औधि याह घनआनंद यौं जीव सूक्यौ जाय ज्यौं ज्यौं भीजत सरवरी ।—घनानंद॰ पृ॰ २० ।