भीड़
भीड़ ऐसे लोगों को कहा जाता है, जब लोग बिना किसी पंक्ति के जहाँ-तहाँ एकत्रित हो जाते हैं। जिससे अन्य लोगों के आने जाने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इस तरह के हालत कई जगह बनते हैं। जब कोई राजनीतिक रैली हो या कोई खेल प्रतियोगिता, या किसी प्रकार का मेला आदि।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
भीड़ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भिड़ना]
१. एक ही स्थान पर बहुत से आदमियों का जमाव । जनसमूह । आदमियों का झुंड । ठठ । जैसे,—(क) इस मेले में बहुत भीड़े होती है । (ख) रेल में बहुत भीड़ थी । क्रि॰ प्र॰—करना ।—लगना ।—लगाना ।—होना । मुहा॰—भीड़ चीरना = जनसमूह की हटाकर जाने के लिये मार्ग बनाना । भीड़ छँटना = भीड़ के लोगों का इधर उधर हो जाना । भीड़ न रह जाना ।
२. संकट । आपत्ति । मुसीबत । जैसे,—जब तुम पर कोई भोड़ पड़े, तब मुझसे कहना । क्रि॰ प्र॰—कटना ।—काटना ।—पड़ना ।
भीड़ भड़का संज्ञा पुं॰ [हिं॰ भीड़ + भड़क्का अनु॰] बहुत से आदमियों का समूह । भीड़ ।
शब्दावली
भीड़ शब्द का उपयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है, जहाँ मनुष्य का कोई समूह हो। यह दर्शक, समूह, जनता आदि हो सकते हैं।
सामाजिक पहलु
मुख्यतः भीड़ को हमेशा ठीक कर मार्ग को सामान्य बनाने की लोग हमेशा कोशिश करते रहते हैं। लेकिन कई लोग जल्द से जल्द जाने और कार्य करने हेतु पंक्ति का उपयोग नहीं करते और धीरे धीरे भीड़ जमा होने लगती है और यातायात बाधित हो जाती है। लेकिन कभी कभी क्रोधित भीड़ के पुलिस या अतिरिक्त बल की आवश्यकता पड़ जाती है।