भीर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भीर पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ भीड़]

१. दे॰ 'भीड़' ।

२. कष्ट । दुःख । तकलीफ ।

३. संकट । विपत्ति । आफत । उ॰— (क) जब जब भीर परत संतन पर तब तब होत सहाई ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) भोर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर काम के सकोच तुलसी कै मोच भारी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) अपर नरेश करै कोउ भीरा । बेगि जनाउब धर्मज तीरा ।—सबल (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना ।

भीर ^२ वि॰ [सं॰ भीरु]

१. डरा हुआ । भयभीत । उ॰—वामदेव राम को सुभाव सील जानि जिय नातो नेह जानियत रघुवीर भीर हौं ।—तुलसी (शब्द॰) ।

२. डरपोक । डरनेवाला । कायर । साहसहीन । उ॰—नृपहिं प्रान प्रिय तुम रघुबीरा । सील सनेह न छाड़िहि भोरा—तुलसी (शब्द॰) ।