भीष्म

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भीष्म ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. भयानक रस । (साहित्य) ।

२. शिव । महादेव ।

३. राक्षस ।

४. राजा शांतनु के पूत्र जो गंगा के गर्भ से उत्पन्न हुए थे । देवव्रत । गांगेय । विशेष—कहते हैं, कुरु देश के राजा शांतनु से गंगा ने इस शर्त पर विवाह किया था कि मैं जो चाहूँगी वही करूँगी । शांतनु से गंगा को सात पुत्र हुए थे । उन सबको गंगा ने जनमते ही जल में, फेंक दिया था । जब आठवाँ पुत्र यही देवव्रत उत्पन्न हुआ था, तब शांतनु ने गंगा को उसे जल में फेंकने से मना किया । गंगा ने कहा 'महाराज' आपने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी, अत मैं जाती हूँ । मैने देवकार्य की सिद्धि के लिये आप- से सहवास किया था । आप इस पुत्र को अपने पास रखें । यह बहुत वीर, धर्मात्मा और दृढ़प्रतिज्ञ होगा और आजन्म ब्रह्मचारी रहेगा । गंगा के चले जाने के कुछ दिनों बाद राजा शांतनु सत्यब्रती या योजनगंधा नाम की एक धीवरकन्या पर आसक्त हुए । पर धीवर ने कहा कि मेरी कन्या के गर्भ से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का अधिकारी होना चाहिए भीष्म या उसकी संतान नहीं । इसपर देवव्रत ने यह भीष्म प्रतिज्ञा की कि मैं स्वयं राज्य नहीं लूँगा और न आजन्म विवाह ही करूँगा । इसी भीषण प्रतिज्ञा के कारण उनका नाम भीष्म पडा । शांतनु को उस धीवर कन्या से चित्रांगद और विचित्रवीय नाम के पुत्र उत्पन्न हुए । शांतनु के उपरांत चित्रांगद को राज्य मिला; और चित्रांगद के एक गंधर्व (इसका नाम भी चित्रांगद ही था) द्वारा मारे जाने पर विचित्रवीर्य राजा हुए । एक बार काशिराज की स्वयंवर सभा में से देवव्रत अबा अबिका और अंबालिका नाम की तीन कन्याओं को उठा लाए थे और उनमें से अंबा तथा अंबालिका का विचित्रवीर्य से विवाह कर दिया था । विचित्रवीर्य के निःसंतान मर जाने पर सत्यवती ने देवव्रत से कहा कि तुम विचित्रवीर्य की स्त्रियों से नियोग करके संतान उत्पन्न करो । पर देवव्रत ने आजन्म ब्रह्मचारी रहने का जो व्रत किया था, उसे उन्होंने नहीं तोड़ा । अंत में वेदव्यास से नियोग कराके अंबिका और अंबालिका से धृतराष्ट्र और पांडु नामक दो पुत्र उत्पन्न कराए गए । महाभारत युद्ध के समय देवव्रत ने कौरवों का पक्ष लेकर दस दिन तक बहुत ही वीरतापूर्वक भीषण युद्ध किया था; और अंत में अर्जुन के हाथों घायल होकर शरशय्या पर पड़ गए थे । युद्ध समाप्त होने पर इन्होंने युधिष्ठर को बहुत अच्छे अच्छे उपदेश दिए थे जिनका उल्लेख महाभारत के 'शातिवं' में है । माघ शुक्ला अष्टमी को सूर्य के उत्तारायण होने पर ये अपनी इच्छा से मरे थे ।

५. दे॰ 'भोष्मक' ।

भीष्म ^२ वि॰ भीषण । भयंकर ।