भूपाली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भूपाली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक प्रसिद्ध रागिनी जिसका स्वरग्राम इस प्रकार है — सा, ग, म, ध, नि, सा । अथवा— रि, ध, सा, रि, ग, म, प । विशेष— इस राँगिनी के विषय में आचार्यो में बहुत मतभेद है । कुछ लोग इसे हिंडोल राग की रागिनी और कुछ माल- कोश की पूत्रवधू मानते हैं । कुछ का यह भी मत है कि यह संकर रागिनी है और कल्याण, गोंड़ तथा बिलावल के मेल से बनी है । कुछ लोग इसे संपूर्ण जाति की और कुछ ओड़व जाति की मानत हैं । यह हास्य रस की रागिनी मानी जाती है; पर कुछ लोग इसे धार्मिक उत्सवों पर गाने के लिये उपयुक्त बतलाते है । इसके गाने का समय रात को ६ दंड से १० दड तक कहा गया है ।