भोगना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भोगना क्रि॰ अ॰ [सं॰ अभ्यञ्ज] पानी या और किसी तरल पदार्थ के संयोग के कारण तर होना । आर्द्र होना । जैसे,— वर्षा से कपड़े भींगना, पानी में दवा भीगना । उ॰—गगरी भरत सोरी सारी भीगी, सुरख चुनरिया ।—गीत (शब्द॰) । मुहा॰—भोगी बिल्ली होना = भय आदि के कारण दब जाना । बिलकुल चुप रहना । उ॰—भीगी बिल्ली हैं और काठ के उल्लू है ।—चुभते॰, पृ॰ ५ ।

भोगना क्रि॰ अ॰ [सं॰ भोग + हि॰ ना॰ (प्रत्य॰)]

१. सूख दुःख शूभाशूभ या कर्मफलों का अनुभव करना । आनंद या कष्ट आदि को अपने ऊपर सहन करना । भुगतना ।

२. सहन करना । सहना ।

३. स्त्रीप्रसंग करना ।