भोरि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भोरि अव्य॰ [हिं॰ बहुरि] पुनः । बहुरि । फिर । उ॰—दास राम जी ब्रह्म समाए । जहाँ गए तै भारि न आए ।—सुंदर ग्र॰, भा॰ १, पृ॰ १२३ ।