भौंरी
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
भौंरी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ भ्रमण]
१. पशुओं आदि के शरीर में रोग्रो या बालों आदि के घुमख से बना हुआ वह चक्र जिसके स्थान आदि के विचार से उनके गुण दोष का निर्णय होता है । जैसे,—इस घोड़े के अगले दाहिने पैर की भोंरी अच्छी पड़ी है । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।
२. विवाह के समय वर बधू का अग्नि की परिक्रमा करना /?/ । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—लेना ।
३. तेज बहते हुए जल में पड़नेवाला चक्कर । आवर्त । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।
४. अंगाकड़ी । बाटी । (पकवान) ।