मँहैं पु अव्य॰ [सं॰ मध्य] मध्य । में । उ॰—पलटू ऐसे घर महैं, बड़े मरद जे जाहिं । यह तो घर हैं प्रेम का खाला का घर नाहिं ।—पलटू॰ भा॰ १, पृ॰ ३३ ।