मटकना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मटकना क्रि॰ अ॰ [सं॰ मट (=चलना)]

१. अंग हिलाते हुए चलना । लचककर नखरे से चलना । (विशेषतः स्त्रियों का) ।

२. अंगों अर्थात् नेत्र, भृकुटी, उँगली आदि का इस प्रकार संचालन होना जिसमें कुछ लचक या नखरा जान पड़े ।

३. हठना । लौटना । फिरना ।उ॰— श्याम सलोने रुप में अरी मन अरयो । ऐसे ह्वै लटक्यौ तहाँ ते फिरि नहिं मटक्यौ बहुत जतन मैं करयौ ।—सूर (शब्द॰) ।

४. विचलित होना । हिलना । उ॰—उतर न देत मोहनी मौन ह्वै रही री सुनि सब बात नेकहू न मटकी ।—सूर (शब्द॰) ।