मत्ता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मत्ता ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. बारह अक्षरों का एक वृत जिसके प्रत्येक चरण में मगण, भगण, सगण और एक गुरु होता है और ४, ६ पर यति होती है । जैसे,—मत्ता ह्णँ कै हरि रस सानी । धावै बंसी सुनत सयानी ।
२. मदिरा । शराब ।
मत्ता ^२ प्रत्य॰ भाववाचक प्रत्यय पन । विशेष—इसका प्रयोग शब्दों को भाववाचक बनाने में उसके अंत में होता है । जैसे, बुद्धिमत्ता । नीतिमत्ता ।
मत्ता पु † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मात्रा, प्रा॰ मत्ता] दे॰ 'मात्रा' । उ॰—दस मत्ता के छंद में वृत्ति नवासी होइ । संगोहादिक गतिन सँग बरनत हैं सब कोइ ।—भिखारी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ १८७ ।