मनसूबा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मनसूबा संज्ञा पुं॰ [अं॰ मनसूबह्]
१. युक्ति । आयोजन । ढंग । उ॰—(क) अब कीजै वैसा मनसूबा । है हैरान सीगरे सूबा ।— लाल (शब्द॰) । (ख) लंक की विशालता लै उरज उतंग भए रंग कवि दूलह है तेरे मनसूबे को ।—दूलह (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—ठानना ।—होना । मुहा॰—मनसूबा बाँधना = युक्ति निकालना । ढंग सोचना । उ॰—उसने पक्का मनसूबा बाँधा था कि यदि लड़ाई हो तो आप धनुष वान लेके हाथी पर फौज के साथ जावे ।—शिव- प्रसाद (शब्द॰) ।
२. इरादा । विचार । उ॰—शकटार अपने मनसूबे का ऐसा पक्का था कि शत्रु से बदला लेने की इच्छा से अपने प्राण नहीं त्याग किए ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) ।