मनोरम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मनोरम ^१ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ मनोरमा] मनोज्ञ । मनोहर । सुंदर ।

मनोरम संज्ञा पुं॰ सखी छंद के एक भेद का नाम । इसके प्रत्येक चरण में चौदह मात्राएँ होती हैं और ५, ४ और ५ पर विराम होता है । इसका मात्राक्रम २+३+२+२+३+ +२ है और तीसरी तथा दूसरी मात्रा सदा लघु होती है । जैसे,— जानकी नाथै, भजो रे । और सब धंधा तजो रे । सार है जग में जू येही । की प्रभु सों जन सनेही ।