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मन्द

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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मंद वि॰ [सं॰ मन्द]

१. धीमा । सुस्त । क्रि॰ प्र॰—करना ।—पड़ना ।—होना ।

२. ढोला । शिथिल ।

३. आलसी ।

४. मूर्ख । कुबुद्धि ।

५. खल । दुष्ट । उ॰—है प्रचड अति पोन तै, रुकत नहीं मन मद । जो लौं नाहीं कृपाकर, बरजत है ब्रज चद ।—स॰ सप्तक, पृ॰ ३४३ ।

६. क्षाम । कृश । क्षीण । जैसे, मंदीदरी ।

७. कमजोर । दुर्बल । जैसे, मदाग्नि ।

८. मृदु । वीमा । जैसे, मंदभाषी ।

६. अल्प ।—अनेकार्थ॰, पृ॰ १५१ ।

मंद ^१ संज्ञा पुं॰

१. वह हाथी जिसकी छाती ओर मध्य भाग की बलि ढीली हो, पेट लबा, चमड़ा मोटा, गला, कोख और पुंछ की चँवरी मोटी हो तथा जिसकी दृष्टि सिंह के समान हो ।

२. शनि । यौ॰—मंदजननी= शनैश्चर की माता जो सूर्य की स्त्री थी ।

३. यम ।

४. अभाग्य ।

५. प्रलप ।

६. पाप ।—अनकार्थ॰ पृ॰ १५१ ।

मंद † ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मघ, हिं॰ मद] दे॰ 'मद्य' । उ॰—का वासंदर सेवियइ कइ तरुनी कइ मंद ।—ढोला॰, दू॰ २९४ ।