मम
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मम सर्व॰ [सं॰ अहं - अत्मद् शब्द का पष्ठी एकबचन रूप] मेर ा या मेरी । उ॰— (क) साई यो मति जानियो प्रीति घटै मम चित्त । मरूँता तुम सुमिरत मरू जीवन सुमिरूँ नित्त ।— कबीर (शब्द॰) । (ख) नील सरोरुह श्याम, तरुन अरुन वारिज नयन । करुहु सा मम उर धाम, सदा क्षीरसागर सयन ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) महाराजा तुम तो ही साध । मम कन्या ते भयो अपराध ।— सूर (शब्द॰) ।