मरज
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मरज संज्ञा पुं॰ [अं॰ मर्ज]
१. रोग । बीमारी । उ॰—(क) आली कछू की कछू उपचार करै पै न पाई सकै मरजै री ।—पद्माकर (शब्द॰) । (ख) नेह तरजनि बिरहागि सरजनि सुनि मान मरजनि गरजनि बदरना की ।— श्रीपति (शब्द॰) ।
२. बुरी लत । खराब आदत । कुटेव । जैसे,—आपको तो बकने का मरज है । (इस अर्थ में इसका प्रयोग अनुचित बातों के लिये होता है ।)