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मरसिया

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मरसिया संज्ञा पुं॰ [अ॰]

१. शोकसूचक कविता जो किसी की मुत्यु के संबंध मे बनाई जाती है । यह उर्दू भाषा में अनेक छंदों में लिखी जाती है । इसमें किसी के मरने की घटना और उसके गुणों का ऐसे प्रभावोत्पादक शब्दों में वर्णन् किया जाता है जिसस सुननेवालों में शाके उत्पन्न हो । ऐसी कविता प्रायः मुहर्रम के दिनों में पढ़ी जाती है । उ॰— इसे कजली क्यों, मरसिया कहना चाहिए ।— प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३६२ । क्रि॰ प्र॰—पढ़ना ।—लिखना ।—सुनाना ।

२. सियापा । मरणशोक । रोना पीटना । क्रि॰ प्र॰—पड़ना । यौ॰—मरसियाख्वाँ=मरसिया पढ़नेवाला । मरासियाख्वानी= मरसिया पढ़ने का कार्य । मरसिया पढ़ना ।