मल्ल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मल्ल संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक प्राचीन जाति का नाम । विशेष—इस जाति के लोग द्वंद्वयुद्ध में बड़े निपुण होते थे; इसीलिये द्वंद्वयुद्ध का नाम मल्लयुद्ध और कुश्ता लड़नेवाले का नाम मल्ल पड़ गया है । महाभारत में मल्ल जाति, उनके राजा और उनके देश का उल्लेख हैं । भारतवर्ष के अनेक स्थान जस मुलतान (मल्लस्यान) मालव, मालभूमि आदि में मल्ल शब्दविकृत रुप में मिलता है । त्रिपिटक सं कुशनगर में मल्लों के राज्य का होना पाया जाता है । मनुस्मृति में मल्लों को लिछिबी (लिच्छाव) आदि के साथ संस्काच्युत या व्रात्य क्षात्रय लिखा है । पर मल्ल आदि क्षत्रिय जातियाँ बोद्ध मतावलंबी हो गई थी । इसका उल्लख स्थान स्थान पर त्रिपटक में मिलता है जिससे ब्राह्मणी के अधिकार से उनका निकल जाना और ब्रात्य होना ठीक जान पड़ता है और कदाचित् इललिये स्मृतियों मे या व्रात्य कह गए है ।

२. द्वंद्वयुद्ध करनेवाला । पहलवान । पट्ठा । उ॰—कै निसिपति मल्ल अनेक बिधि उठा बठत कसरत करता ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰१, पृ॰ ४५६ ।

२. मनुस्मृति के अनुसार एक व्रात्य क्षत्रिय़ जात का नाम ।

४. ब्रह्मववत के अनुसार लट पता तीवरी माता से उत्पत्र एक वर्णसंकर जाति का नाम ।

५. पराशर पद्धति के अनुसार कुंदकार पिता और तंतुवाय मात ा में उत्पन्न एक वर्णसंकर जाति ।

६. पात्र ।

७. कपोल ।

८. एक प्रकार की मछली ।

९. एक प्राचीन देश का नाम जो विराट देश के पास था ।

१०. दीप । उ॰—दगदगाति जो मल्ल सी अग्नि राशि की कांति । सोई मणि माणिक विपे, काति रंग की भाँति । — रत्नचपरीक्षा (शब्द॰) ।