मल्लिका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मल्लिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. एक प्रकार का वेला जिसे मोतिया कहते है । उ॰—द्दगजल से सानंद, खिलेगा कभी मल्लिकापुंज ।—झरना, पृ॰ ९ । विशेष —वैद्यक में इसका स्वाद कड़वा ऐर चरपरा, प्रकृति गरम और गुण हलका, वीर्यवर्घक, बात-पित-नाशक, अरूचि और बिष मे हितकर तथा व्रण और कोढ़ का नाशक लिखा है । इसका फूल सफेद और गोल तथा गंघ मनोरम होती है । कुछ लोग भ्रमवश इसे चमेली समझते हैं ।
२. आठ अक्षरों का एक वर्णिक छंद जिसके प्रत्यके चरण में रगण, जगण और अंत में एक गुरू और एक लघु होता है । जैसे— एक काल रामदेव । सोधु बंधु करत सेव । शोभिजै सबै सो और । मंत्रि मित्र ठौर ठौर ।
३. सुमुखि वृत्ति का एक नाम ।
४. एक वाद्य का नाम (को॰) ।
५. दीवट (को॰)
६. एक प्रकार का मिट्टी का बर्क्षन (को॰) ।