महादान संज्ञा पुं॰ [सं॰] पुराणानुसार तुला पुरुष, सोने की गौ या घोड़ा आदि तथा पृथ्वी, हाथी, रथ, कन्या आदि पदार्थों का दान जिससे स्वर्ग की प्राप्ति होती है । २. वह दान जो ग्रहण आदि के समय डोमों, चमारों आदि जातियों को दिया जाता है ।