महानन्द
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
महानंद संज्ञा पुं॰ [सं॰ महानन्द]
१. मगध देश का एक प्रतापी राजा जिसके डर से सिकंदर आगे न बढ़कर पंजाब ही से अपने देश को लौट गया था ।
२. दस अंगुल की मुरली । इस वाद्य के देवता ब्रह्मा माने गए हैं ।
३. मुक्ति । मोक्ष ।
४. आध्यात्मिक आनंद की स्थिति । उ॰—बिना रसना जहँ राग बतीसों हीन महानंद पूरा ।—कबीर श॰, भा॰ १, पृ॰ ८५ ।