महाप्राण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

महाप्राण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] व्याकरण के अनुसार वह वर्ण जिसके उच्चारण में प्राणवायु का विशेष व्यवहार करना पड़ता है । विशेष—वर्णमाला में प्रत्येक वर्ग का दूसरा तथा चौथा अक्षर तथा हिंदी की कुछ अन्य ध्वनियाँ महाप्राण हैं । जैसे,— कवर्ग का—ख, घ । बवर्ग का—छ, झ । चवर्ग का—ठ, ढ़, ढ़ । तवर्ग का—थ, ध । पवर्ग का—फ, भ । तथा श, ष, स और ह तथा न्ह, म्ह ल्ह आदि ।

२. वह तीव्र या महाप्राण श्वास जो महाप्राण वर्णों के उच्चारण में लेनी पड़ती है (को॰) ।

३. काला कौआ (को॰) ।

महाप्राण ^१ वि॰ अत्याधिक सत्वयुक्त ।