महिमा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

महिमा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ महिमन्] महत्व । महात्म्य । बड़ाई । गौरव । उ॰—सबही हंसा एक सरीखा अब गुरु महिमा को कौन । विशेषा ।—कबीर सा॰, पृ॰ ९५४ ।

२. प्रभाव । प्रताप । उ॰—सुनि आचरज करइ जनि कोई । सत संगति महिमा नहिं गोई ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. आणिमा आदि आठ प्रकार की सिद्धियों या ऐश्वर्यें में से पाँचवीं जिससे सिद्ध योगी अपने आपको बहुत बड़ा बना लेता है । यौ॰—महिमाधर=महिमावान् । उ॰—जागी विश्वाश्रय महिमा- धर फिर देखा ।—तुलसी॰, पृ॰ १३ । महिमान्वित=दे॰ 'महिमावान्' । महिमामांडत=गौरवयुक्त । महिमामय= दे॰ 'महिमावान् । महिमामयी=महिमायुक्त ।