महीधर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]महीधर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पर्वत ।
२. बौद्धों के अनुसार एक देवपुत्र का नाम ।
३. शेषनाग । उ॰—धर्मं करत अति अर्थ बढ़ावत । संतति हित रवि कोविद गावत । संतति उपजत ही निशि वासर । साधत तन मन मुक्ति महीधर ।—केशव (शब्द॰) ।
४. एक वर्णिक वृत्त का नाम जिसमें चौदह बार क्रम से लघु और गुरु आते है । यथा, सदा कुसंग धारिये, नहीं कुसंग सारिये, लगाय चित्त सीख मानिये खरी ।
५. विष्णु (को॰) ।
६. वेदभाष्य के एक रचयिता जिनका भाष्य महीधर भाष्य नाम का है ।