माँझ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

माँझ पु † ^१ अव्य॰ [सं॰ मध्य] में । भीतर । बीच । अंदर । उ॰— (क) व्रजहि चलौ आई अब साँझ । सुरभी सबै लेहु आगे करि रैनि होइ पुनि बनही माँझ ।—सूर (शब्द॰) । (ख) तुम्हरे कटक माँझ सुनु अँगद । मो सन भिरहि कवन याधा बद ।—तुलसी (शब्द॰) । (ग) आपुस माँझ महोदर साँचे । क्यों तुम बीर विरोधिन राँचे ।—केशव । (घ) रेज करि सौतिन मजेज सों निकेत माँझ, पर पति हेत सेज साँझ ते सँवारती ।—प्रताप (शब्द॰) ।

माँझ पु † ^२ संज्ञा पुं॰

१. अंतर । फरक । मुहा॰—माँझ पड़ना या होना = बीच पड़ना । अंतर पड़ना । उ॰—द्वादश बरष माँझ भयो तब ही पिता सेवा सावधआन मन नीको कर आनिए ।—प्रियादास (शब्द॰) ।

२. नदी के बीच में पड़ी हुई रेतीली भूमि ।