माधुर्य
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
माधुर्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मधुर होने का भाव । मधुरता
२. सुंदरता । लावण्य ।
३. मिठाई । मिठास । मीठापन ।
४. पांचाली रीति के अंतर्गत काव्य का एक गुण । विशेष—इसके द्वारा चित्त बहुत ही प्रसन्न होता है । यह श्रृंगार, करुण और शांत रस में हो अधिक होता है । ऐसी रचना में प्राय़ ट, ठ, ड़, ढ, और ण नहीं रहते; क्योंकि इनसे माधुर्य का नाश होना माना जाता है । 'उपनागरिका' । वृत्ति में यह अधिकता से होता है ।
५. सात्विक नायक का एक गुण । बिना किसा प्रकार के श्रृंगार आदि के ही नायक का सुंदर जान पड़ना ।
६. वाक्य में एक से आधिक अर्थो का होना । वाक्य का श्लप ।
६. श्रीकृष्ण के प्रति काता भाव । मधुरा या रागानुगा भक्ति ।