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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

[सम्पादन]

माध्यमिक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बौद्धों का एक भेद । विशेष— इस वर्ग के बोद्धों का विश्वास है कि सब पदार्थ शून्य से उत्पन्न होते हैं और अंत में शून्य हो जाते हैं । बीच में जो कुछ प्रतीत होता है, वह केवल उसी समय तक रहता है, पश्चात् सब शून्य हो जाता है । जैसे, 'घट' उत्पत्ति के पूर्व न तो था और न टूटने के पश्चात् ही रहता है । बीच मे जो ज्ञान होता है, वह चित्त के पदार्थतर में जाने से नष्ट हो जाता है । अतः एक शून्य ही तत्व है । इनके मत से सब पदार्थ क्षणिक हैं और समस्त संसार स्वप्न के समान है । जिन लोगों ने निर्वाण प्राप्त कर लिया है और जिन्होने नहीं प्राप्त किया है, उन दोनों को ये लोग समान ही मानते हैं ।

२. मध्य देश ।

३. मध्य देश का निवासी ।