माना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

माना ^१ संज्ञा पुं॰ [इबरानी] एक प्रकार का मीठा निर्यास । विशेष—यह निर्यास इटली और एशिया माइनर आदि देशों के कुछ विशिष्ट वृक्षों में से छेब लगाकर निकाला जाता है; अथवा कभी कभी उन वृक्षों पर कुछ कीड़ों आदि की कई क्रियाओं से उत्पन्न होना है और जो पीछे से कई रासायनिक क्रियाओं से शुद्ध करके औषधि के रूप में काम मे लाया जाता है । भारत के कई प्रकार के बाँसों तथा दूसरे अनेक वृक्षों पर भी यह कभी कभी पाया जाता है । यह रेचक होता है और इसके व्यवहार के उपरांत मनुष्य विशेष निर्बल नहीं होता । देखने में यह पीले रंग का, पारदर्शी और हलका होता है और प्रायः बहुत महँगा मिलता है ।

माना † ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मान] अन्नादि नापने का एक पात्र । विशेष— इसमें पाव भर अन्न आता है । यह लकड़ी, मिट्टी या धातु का बना होता है । इससे तरल पदार्थ भी नापे जाते है ।

माना † ^३ क्रि॰ सं॰ [सं॰ मान अथवा हिं॰ मापना]

१. नापना । तौलना । उ॰— देखि विवरु सुधि पाय गीध में सवनि अपनो बलु मायो ।— तुलसी (शब्द॰) ।

२. जाँचना । परीक्षा करना ।

माना पु ^४ क्रि॰ अ॰ दे॰ 'समाना' या 'अमाना' । उ॰— (क) इतनी बचन श्रवण सुनि हरष्यों फूल्यो अंग न मात । लै लै चरन रेनु निज प्रभु की रिपु के शोणित न्हात ।—सूर (शब्द॰) । (ख) माई कहाँ यह माइगी दीपति जो दिन दो यहि भाँति बढ़ेगी ।—केशव (शब्द॰) ।

माना ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. कुंभ । घड़ा ।

२. प्राचीन काल का एक प्रकार तका मानपात्र जिसमें दो अंजुसली या आठ पल आता था ।

३. चक्की के ऊपर के पाट में लगी हुई वह लकड़ी जिसके छेद मे कौली रहती है । जूआ न हाने पर यह लकड़ा ऊपर के पाट के छेद में जहाँ रहती है ।

४. कुदाल, वसुले आदि का वह छेद जिसमें बेंट लगाइ जाता है ।

५. किसी चीज में बनाया हुआ छेद जिसमे कुछ जड़ा जाय ।

६. अन्न का एक मान जो सोलह सर का होता है ।

७. साधारण छेद ।