मारक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मारक ^१ वि॰ [सं॰]
१. मार ड़ालनेवाला । मृत्युकारक । संहारक । उ॰—(क) लै उतारि यातैं नृपति भलो चढ़ायो बान । निर- दोषिन मारक नहीं यह तारक दुखियान ।—लक्ष्मणसिंह (शब्द॰) । (ख) सुकवि मिलन की आस एक अवलंब उधारक । नहिं तो कैसे बचती माख्यौ मार सुमारक ।—व्यास (शब्द॰) ।
२. किसी के प्रभाव आदि को नष्ट करनेवाला । घात पर प्रति- घात करनेवाला । जैसे, —यह औपध अनेक प्रकार के विषों का मारक है ।
मारक ^२ संज्ञा पुं॰
१. वध करनेवाला । जल्लाद ।
२. कामदेव का एक नाम ।
३. श्येन पक्षी । बाज ।
४. महामारी ।
५. प्रलयकालीन प्राणिनाश ।
६. सिंदूर [को॰] । यौ॰— मारकस्थान=कुंड़ली में वे स्थान जिनमें क्रूर ग्रहों की स्थिति से कष्ट एवं मृत्यु होती है ।