मारे
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मारे अव्य [हि॰ मरना] वजह से । कारण से । उ॰— (क) नैन गए फिर, फेन वहै मुख, चैन रह्वो नहि मैन के मारे । पद्माकर (शब्द॰) । (ख) परेतु आश्रम की छोड़ते हुए दुःख के मारे पाँव आगे नहीं पड़ती ।—लक्ष्मणसिंह (शब्द॰) । (ग) मेरे नाम से चूल्हे की राख भी रखी रहे, तौ भी लोगों के मारे बचने नहीं पाती ।— दुर्गाप्रसाद मिश्र (शब्द॰) । (घ) कुँवर कहों वे बुद्ध बिचारे । छाँड़ेन धर्म के मारे ।— रघुनाथदास (शब्द॰) । (ड़ं) तिस समय एक बड़ी आधी चली कि जिसके सारे पृथ्वी ड़ोलने लगी ।— लल्लुलाल (शब्द॰) ।