मिस्तरी संज्ञा पुं॰ [अं॰ मास्टर(=उस्ताद)] वह जो हाथ का बहुत अच्छा कारीगर हो । चतुर शिल्पकार । विशेष— इस शब्द का प्रयोग बहुधा लोहारों, बढ़इयों, राजगीरों और कल पेंच आदि का काम करनेवालों के लिये ही होता है ।