मुक्तक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मुक्तक संज्ञा सं॰ [सं॰]

१. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र जो फेंककर मारा जाता था ।

२. एक प्रकार का काव्य जो एक ही खंड या पद्य में पूरा होता है । वह कविता जिसमें कोई एक कथा या प्रसंग कुछ दूर तक न चले । फुटकर कविता । 'प्रबंध' का उलटा जिसे 'उद् भट' भी कहते हैं । उ॰— मुक्तक या उद् भट में जो रस को रस्म अदा की जाती है उसमें ग्रीष्म दशा का समावेश नहीं होता ।—रस॰, पृ॰ १८९ ।

मुक्तक ऋण संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह ऋण जिसकी लिखा पढ़ी न हुई हो । जबानी बातचीत पर दिया हुआ ऋण ।