मुशायरा संज्ञा पुं॰ [अ॰ मुशाअरह्] १. बहुत से कवियों, शायरों का एक जगह एकत्र होकर परस्पर अपनी कविता सुनाना । कविगोष्ठ । २. उपस्थित जनसमूह के सामने कवियों द्बारा अपनी कविता सुनाना । कविसंमेलन ।