मुष्टि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मुष्टि ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. मुठ्ठी ।
२. मुक्का । घूँसा । उ॰—तब सुग्रीव विकल होइ भागा । मुष्टि प्रहार बज्र सम लागा ।—तूलसी (शब्द॰) ।
३. एक प्राचीन परिमाण जो किसी के मत से ३ तोले का और किसी के मत से ८ तोले का होता था ।
४. चोरी ।
५. दुर्भिक्ष । अकाल ।
६. ऋषि नामक ओषधि ।
७. मोरवा नामक वृक्ष ।
८. राज्य का एक नाम ।
९. कंस के दरबार का एक मल्ल । मुष्टिक । उ॰—कह्मो चाणूर मुष्टि सब मिलिकै जानत हौ सब जी के ।— सूर (शब्द॰) ।
१०. छुरे, तलवार आदि की मूँठ । बेंट । पर्या॰—आभ्र । चतुर्थिका । प्रकुंच । पोड़शी । बिल्व ।
मुष्टि ^२ वि॰ [सं॰ मष्ट] चुप । मौन । उ॰—संत मिलै कछु कहिए कहिए । मिलै असंत मुष्टि करि रहिए ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ १०९ ।