मुहताज वि॰ [अ॰ मुहताज] १. जिसे किसी ऐसे पदार्थ की बहुत अधिक आवश्यकता हो जो उसके पास बिलकुल न हो । जैसे, दाने दाने को मुहताज । उ॰—कौड़ी कौड़ी को करूँ, मैं सबको मुहताज ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ४७३ । २. दरिद्र । गरीब । कंगाल । निर्धन ।