मूठ
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मूठ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ मुष्टि, प्रा॰ मुट्ठि]
१. उँगलियों को मोड़कर बाँधी हुई हथेली । मुष्टि । मुट्टी । उ॰—जिहि पालन के हित धान समा नित मूठहि मूठ खवावत ही ।—शकुंतला पृ॰ ७५ । वि॰ दे॰ 'मुट्ठी' । मुहा॰—मूठ काना = तीतर, बटेर आदि को मुट्ठी में पकड़कर उनके शरीर में गरमी पहुँचाना जिससे उनमें वल का आना मान जाता है । मूठ मारना = (१) कबूतर को मुट्ठी में पकड़ना । (२) हस्तक्रिया करना ।
२. किसी औजार या हथियार का वह भाग जो व्यवहार करते समय हाथ में रहता हैं । मुठिया । दस्ता । कव्जा । जैसे, तलवार की मूठ, छाते की मूठ, कमान की मूठ । उ॰— टूटि टाटि गोसा गए, फूटि फाटि मूठ गई, जेवरि न राखो जोर जानत है ।—हनुमन्नाटक (शब्द॰) ।
३. उतनी वस्तु जितनी मुट्ठी में आ सके ।
४. एक प्रकार का जूआ जिसमें मुट्ठी में कौड़ियाँ बंद करके बुझाते हैं ।
५. मंत्र का प्रयोग । जादू । टोना । मुहा॰—मूठ चलाना या मारना = जादू करना । टोना मारना । तंत्र मंत्र का प्रयोग करना । उ॰—(क) काहू देवननि मिलि मोटी मूठ मार दी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) पीठि दिए ही नेकु मुरि कर घूँघट पट टारि । भरि गुलाल की मूठि सों गई मूठि सी मारि ।—बिहारी (शब्द॰) । (ग) कोउ पै कोउ मारै मूठ यथा ।—गोपाल (शब्द॰) । (घ) अविर उड़ावैं मूठि मूठि सो चलावै, सखी देखिए लुनाई नटनागर गोपाल की ।— दीनदयाल (शब्द॰) । मूठ लगाना = जादू का असर होना । टोना लगना । मंत्र तंत्र का प्रभाव पड़ना । उ॰—डीठि सी डीठि लगी उनको इनको लगी मूठि सी मूठि गुलाल की ।— पद्माकार (शब्द॰) ।