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मूर्च्छा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मूर्च्छा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. प्राणी की वह अवस्था जिसमें उसे किसी बात का ज्ञात नहीं रहता, वह निश्चेष्ट पड़ा रहता है । संज्ञा का लोप । अचेत होना । बेहोशी । उ॰—गइ मूर्च्छा तब भूपति जागे । बोलि सुमंत कहन अस लागे ।—तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—आना ।—खकर गिरना ।—होना । विशेष—आयुर्वद में मूर्च्छा रोग के ये कारण कहे गए हैं—विरुद्ध वस्तु खा जाना, मलमूत्र का वेग रोकना, अस्त्रशस्त्र से सिर आदि मर्मस्थानों में चोट लगाना अथवा सत्व गुण का स्वभावतः कम होना । इन्हीं सब्र कारणों से वाताति दोष मनोधिष्ठान में प्रविष्ट होकर अथवा जिन नाड़ियों द्वारा इंद्रियों और मन का व्यापार चलता है उनमें अधिष्ठित होकर, तमोगुण की वृद्धि करके मूर्च्छा उत्पन्न करते हैं । मूर्च्छा आने के पहले शैथिल्य होता है, जँभाई आती है और कभी कभी सिर या हृदय में पीड़ा भी जान पड़ती है । मूर्च्छा रोग सात प्रकार का कहा गया है—वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज, रक्तज, मद्यज और विषज । 'वातज' मूर्च्छा में रोगी को पहले आकार नीला या काला दिखाई पड़ने लगता है और वह बेहोश हो जाता है, पर थोड़ी ही देर में होश आ जाता है । इसमें कंप और अंग में पीड़ा भी होती है और शरीर भी बहुत दर्बल और काला हो जाता है । 'पित्तज' मूर्च्छा में बेहोशी के पहले आकाश लाल, पीला या हरा दिखाई पड़ता है और मूर्च्छा छूटते समय आँखें लाल हो जाती है, शरीर में गरमी मीलूम होती है, प्यास लगती है और शरीर पीला पड़ जाता है । 'श्लेष्मज' मूर्च्छा' में रागी स्वच्छ आकाश को भी बादलों से ढका और अँधेरा देखते देखते बेहोश हो जाता है और बहुत देर में होश में आता है । मूर्च्छा टूटते समय शरीर ढीला और भारी मालूम होता है और पेशाब तथा वमन की इच्छा होती है । 'सन्निपातज' में उपर्युक्त तीनों लक्षण मिले जुले प्रकट होते हैं और मिरगी के रोगी की तरह रोगी जमीन पर अकस्मात गिर पड़ता है और बहुत देर में होश में आता है । मिरगी और मूर्च्छा में भेद केवल इतना होता है कि इसमें मुँह से फेन नहीं आता और दाँत नहीं बैठते । 'रक्तज' मूर्च्छा में अंग ठक और दृष्टि स्थिर सी हो जाती है और साँस साफ चलती नहीं दिखाई देती । 'मद्यज' मूर्च्छा में रोगी हाथ पैर मारता और अनाप शनाप बकता हुआ भूमि पर गिर पड़ता है । 'विषज' मूर्च्छा में कंप, प्यास और झपकी मालूम होती है तथा जैसा विष हो, उसके अनुसार और भी लक्षण देखे जाते हैं ।